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• Sun, 9 May 2021 12:29 pm IST


मोदी को सत्ता में बनाए रखना देश की ज़रूरत !


कोरोना महामारी से हो रही मौतों के बीच सोशल मीडिया पर कुछ नागरिक समूहों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस्तीफ़े की माँग यह मानकर की जा रही है कि इससे मौजूदा संकट का तुरंत समाधान हो जाएगा। इसके लिए जन-याचिकाओं पर हस्ताक्षर करवाए जा रहे हैं। याचिकाओं में कोरोना से निपटने में विभिन्न स्तरों पर उजागर हुई सरकार की भीषण विफलताएँ गिनाई जा रही हैं। ऐसी याचिकाओं का इस तरह के कठिन समय में प्रकाश में आना आश्चर्य की बात नहीं है।


ऐसे हरेक संकट में सामाजिक रूप से सक्रिय लोगों की पहल इसी तरह से नागरिकों के मनों और उनके सत्ताओं का प्रतिरोध करने के साहस को टटोलती है। सच्चाई यह है कि इस समय प्रधानमंत्री से इस्तीफ़े की माँग बिलकुल ही नहीं की जानी चाहिए। मोदी को सात सालों में पहली बार देश को इतने नज़दीक से जानने, समझने और उसके लिए काम करने का मौक़ा मिल रहा है।


ऐसा ही नागरिकों के साथ भी है। उन्हें भी पहली बार अपने नेता के नेतृत्व की असलियत को ठीक से परखने का अवसर मिल रहा है। प्रधानमंत्री के पद पर पूरे हो रहे उनके सात साल के कार्यकाल में पहली बार जनता के ग्रहों का योग कुछ ऐसा हुआ है कि मोदी को देश में इतना लम्बा रहना पड़ रहा है।

इसी मार्च महीने में अन्यान्य कारणों से आवश्यक हो गई बांग्लादेश की संक्षिप्त यात्रा को छोड़ दें तो नवम्बर 2019 में ब्राज़ील के लिए हुई उनकी 59वीं विदेश यात्रा के बाद से मोदी पूरी तरह से देश में ही हैं।


युद्ध जब दूसरे चरण में हो और तीसरे चरण की तीव्रता का अनुभव करना बाक़ी हो तब बीच लड़ाई में सेनापति को हटाने या बदलने की माँग न सिर्फ़ अनैतिक है, व्यापक राष्ट्रहित में व्यावहारिक भी नहीं मानी जा सकती। प्रधानमंत्री को उनकी वर्तमान ज़िम्मेदारियों में लगाए रखना इस तथ्य के बावजूद ज़रूरी है कि उनकी सरकार कथित तौर पर एक ‘जीते जा चुके’ युद्ध को हार के दाँव पर लगा देने की अपराधी है।

या तो कोरोना की पहली लहर पर जीत का दावा चुनावी हार के अंतिम क्षणों में मतों की गिनती में की जाने वाली धांधली की तरह से था या फिर उस जीत को भी विकास के किसी फ़र्ज़ी रोल मॉडल की तरह ही गोदी मीडिया के ‘पेड’ प्रबंधकों की मदद से दुनिया भर में प्रचारित-प्रसारित करवाया गया था।


कभी भी आश्चर्य नहीं व्यक्त किया गया कि महामारी की पहली लहर के दौरान जब अमेरिका और यूरोप में लोगों की जानें अंगुलियों के चटकने की रफ़्तार के साथ जा रही थीं, तब हमारे यहाँ इतनी निश्चिंतता के साथ अयोध्या में मंदिर के निर्माण का भूमि पूजन, बंगाल के चुनावों और कुम्भ मेले की तैयारियाँ किस जादू की छड़ी की मदद से इतनी निश्चिंतता से की जा रही थीं?