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DevBhoomi Insider Desk
• Mon, 22 Aug 2022 2:37 pm IST


महिला वोट बैंक पर टिकीं सबकी नजरें


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले के प्राचीर से महिला सम्मान की बात की। उन्होंने कहा कि महिलाओं को ज्यादा मौके और ज्यादा सुविधा देकर ही देश की प्रगति तेजी से होगी। साथ ही कहा कि हमें अपने भीतर आई उस विकृति को दूर करना होगा, जिसमें हम कभी अपने शब्दों से तो कभी आचरण से नारी का अपमान करते हैं। ऐसा पहली बार नहीं है कि महिलाओं के मसले पर पीएम खुलकर बोले हों। पिछले कुछ सालों में महिलाएं एक मजबूत वोट बैंक के तौर पर उभरी हैं। पहले जहां यह माना जाता था कि घर के पुरुष सदस्यों के कहने के हिसाब से ही महिलाएं वोट देती हैं, वहीं पिछले कुछ सालों में यह भ्रम टूटा है और किसी भी पार्टी को सत्ता में पहुंचाने में महिला वोटरों का बड़ा योगदान रहा है। हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में मिली जीत के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि बीजेपी की जीत में महिलाओं का अहम योगदान है। केंद्र सरकार ने महिलाओं को फोकस करते हुए कई स्कीमें भी शुरू कीं। बीजेपी के बारे में कहा जाता था कि मुस्लिम बीजेपी को वोट नहीं देते। लेकिन बीजेपी ने महिला वर्ग में फोकस कर मुस्लिम वोट बैंक में भी सेंध लगाई। बीजेपी का मानना है कि तीन तलाक पर रोक लगाने से मुस्लिम महिलाओं का बड़ा वर्ग बीजेपी के पक्ष में आया।

एक-दूसरे पर अटैक
पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनावों में सभी पार्टियों ने महिलाओं के लिए कई तरह के वादे किए। आम आदमी पार्टी ने पंजाब में महिलाओं को हर महीने 1000 रुपये देने का वादा किया। वहां पर आप की सरकार बन चुकी है और अब सरकार अपने इस वादे को पूरा करने की दिशा में काम करने की बात कह रही है। यही वादा अब आम आदमी पार्टी गुजरात में भी कर रही है। गुजरात में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव हैं और आप वहां पूरा फोकस कर रही है। महिला वोटर अभी से सभी दलों के निशाने पर हैं। सभी राजनीतिक दल महिला सुरक्षा और सम्मान की बातें कर रहे हैं। यूपी विधानसभा चुनाव में भी महिला सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा था। वहां विपक्ष ने बीजेपी को इसी बात पर घेरने की कोशिश की और कहा कि यूपी में महिलाओं के प्रति अपराध बढ़े हैं। वहीं बीजेपी ने भी इसे मुद्दा बनाते हुए कहा था कि योगी राज में महिलाएं ज्यादा सुरक्षित हैं। इसका सियासी लाभ बीजेपी को मिला। कानून व्यवस्था के मुद्दे पर योगी ने चुनाव लड़ा और फिर सरकार बनाई। हालांकि 15 अगस्त को प्रधानमंत्री की लाल किले से दी गई स्पीच में महिला सम्मान की बात करने के तुरंत बाद ही सरकार पर सवाल उठ गए।

दरअसल पीएम की स्पीच के बाद 2002 के गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक हत्या और मुस्लिम महिला से गैंगरेप के मामले में उम्रकैद काट रहे 11 कैदियों को रेमिशन पॉलिसी के तहत जेल से छोड़ दिया गया। उनकी आरती उतारते और मिठाई खिलाते विडियो वायरल हुए। जबकि इसी साल जून में केंद्र सरकार ने आजादी के अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में कैदियों की रिहाई के लिए जो दिशानिर्देश जारी किए थे, उसमें कहा गया था कि रेप के दोषी समय से पहले रिहाई के हकदार नहीं हैं। लेकिन गुजरात गैंगरेप केस के दोषियों की रिहाई से सवाल उठ रहे हैं कि दिशा निर्देश को कानूनी जामा क्यों नहीं पहनाया जाता? जहां कांग्रेस इस मामले में हमलावर है वहीं बीजेपी ने चुप्पी ओढ़ रखी है। दिलचस्प है कि यही बीजेपी कांग्रेस शासित राजस्थान में महिला सुरक्षा और महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराध के मसले पर आक्रामक मुद्रा में है। ऐसे में संदेश गया कि राजनीतिक दलों के लिए महिलाएं बड़ा वोट बैंक तो बन गई हैं, लेकिन महिला सुरक्षा और सम्मान के नाम पर प्रतिक्रिया यह देखकर ही आ रही है कि किस राज्य का मसला है और कहां किस पार्टी की सरकार है। हाल ही में नोएडा की एक सोसाइटी में बीजेपी से जुड़े एक स्थानीय नेता का महिला से बदतमीजी का विडियो वायरल हुआ। इस घटना के बाद भी बीजेपी बैकफुट पर आई और उस नेता से किसी तरह वास्ता होने से इंकार किया।

2024 से पहले बड़े फैसले
महिला सुरक्षा का मुद्दा जिस तरह से बड़ा बन रहा है उससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सरकार महिलाओं को लेकर कुछ बड़े कदम उठा सकती है। कांग्रेस, टीएमसी या जेडीयू भी अपने शासित राज्यों में महिलाओं को लुभाने के लिए कुछ घोषणाएं कर सकते हैं। जिस तरह नरेंद्र मोदी के नाम पर बीजेपी को लोकसभा में दोबारा मिली जीत में महिला वोटर्स का बड़ा योगदान बताया जाता है, उसी तरह बिहार में नीतीश कुमार की जीत में भी महिला मतदाताओं का बड़ा रोल रहा है। पश्चिम बंगाल में भी ममता बनर्जी की जीत में उनकी महिला समर्थकों की बड़ी भूमिका मानी जाती है। कांग्रेस भी महिला वोटरों को लुभाने की कोशिश कर रही है। लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकजुटता की कोशिशें भी दिख रही हैं। ऐसे में एक बड़ा फैक्टर महिलाएं भी होंगी। लेकिन महिलाएं किसके साथ खड़ी होंगी और किसे उनका वोट मिलेगा, यह तो चुनाव परिणाम ही बताएंगे।

सौजन्य से : नवभारत टाइम्स