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• Sat, 13 Apr 2024 1:33 pm IST


बदला शाहीन बाग


आज ईद मनाई जा रही है। सब तरफ खुशियां ही खुशियां नजर आ रही हैं। इससे पहले जुमा अलविदा पर जामा मस्जिद से लेकर शाहीन बाग अलसुबह तक गुलजार था। इस दौरान इधर शॉपिंग इस तरह से हो रही थी कि मानो इस रात की सुबह होगी ही नहीं। आगे-आगे महिलाएं, और उनके पीछे उनके पति और बच्चे नजर आ रहे थे। शाहीन बाग का बदला हुआ माहौल गहरे संकेत दे रहा है। इसी शाहीन बाग में CAA के विरोध में महिलाओं की सरपरस्ती में 15 दिसंबर, 2019 से लेकर 24 मार्च 2020 तक चले धरने की गूंज दूर तक गई थी। वह बहुत भयानक दौर था। जब कोविड के कारण त्राहि-त्राहि मचने लगी, तब कहीं धरना समाप्त हुआ था। सवाल है कि इतने छोटे से अंतराल में ऐसा क्या बदला कि CAA विरोध का प्रतीक बन चुके शाहीन बाग की एक नई शक्ल सामने आने लगी?

शाहीन बाग राजधानी की नई फूड स्ट्रीट के रूप में उभरने लगा है। इधर, लजीज जायकों के साथ इंसाफ करने के लिए साउथ दिल्ली और नोएडा के लोग पहुंचने लगे। CAA विरोध की स्मृतियां धूमिल होने लगीं। मशहूर फुटबॉलर गौस मोहम्मद कहते हैं कि गृह मंत्री अमित शाह के भरोसे के बाद मुसलमान आश्वस्त हो गए कि CAA से वे प्रभावित नहीं होंगे। केंद्र सरकार ने बीती 11 मार्च को CAA कानून की अधिसूचना जारी कर दी थी। तब छिटपुट विरोध के स्वर उभरे थे। आशंका थी कि फिर से शाहीन बाग में हंगामा बरपेगा। पर कुछ नहीं हुआ। शाहीन बाग में फिर कोई धरने पर नहीं बैठा। अब वह आगे बढ़ना चाहता है। शाहीन बाग के एक रेस्तरां में रात करीब 11 बजे नॉन वेज डिशेज का आनंद लेते हुए कुछ नौजवान आपस में नई नौकरी, कार और इंक्रीमेंट की बातें कर रहे हैं। इनमें से एक से हमने CAA के बारे में पूछा तो जवाब दो ने दिया- ‘हमारे लिए CAA का कोई मतलब नहीं है। इसका हमारे से कोई लेना-देना नहीं है।’

क्या लोकसभा चुनावों में CAA मुद्दा होगा? नोएडा की एक IT कंपनी में काम करने वाले अब्बास का कहना था, ‘मुझे लगता है कि यंग जेनरेशन अपना वोट उसे देगी, जो हेल्थ, एजुकेशन और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर फोकस करेगा। CAA दफन हो चुका है।’ शाहीन बाग से हमने घर वापसी के लिए कैब ली। कैब के ड्राइवर के पास अखबार रखा था। बताने लगा कि वह रोज अखबार पढ़ता है। आज उसका ड्राइवर नहीं आया तो खुद कैब चला रहा है। वह खुरेजी में आयोजित धरने में बैठता था। उसने CAA का कसकर विरोध भी किया था। और अब? ‘अब किसके पास वक्त है शाहीन बाग या खुरेजी के धरनों को याद करने का? सबने उसे भुला दिया है।’ कैब NH-24 पर दौड़ रही थी। चारों तरफ रोशनी के बीच तेज रफ्तार ट्रैफिक था। कैब ड्राइवर हमें बता रहा था कि वह हमें छोड़कर अपने खुरेजी के घर में जाकर सहरी की तैयारी करे

सौजन्य से : नवभारत टाइम्स