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DevBhoomi Insider Desk
• Wed, 12 Jan 2022 11:17 am IST

खुलासा

त्रिवेंद्र रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट सूर्यधार झील निर्माण में बड़ा गड़बड़झाला


देहरादून। राज्य में आचार संहिता लगने से चार दिन पहले सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट सूर्यधार झील के निर्माण में शासन को कार्रवाई के निर्देश दिये हैं।  मंत्री ने तीन सदस्यीय विभागीय समिति की जांच रिपोर्ट को आधार बनाते हुए सामने आई गड़बड़ियों पर तुरंत कार्रवाई करने को कहा है। उन्होंने निर्देश दिए कि डीपीआर निर्माण का परीक्षण करने वाले अधिकारियों, डीपीआर निर्माण कंसल्टेंट और परियोजना से जुड़े अन्य अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाए।

सूर्यधार जलाशय निर्माण परियोजना निर्माण कार्य करीब 62 करोड़ रुपये में कराया गया, जबकि इसके लिए 50.24 करोड़ रुपये ही मंजूर हुए थे। तय राशि से करीब 12 करोड़ अधिक धनराशि खर्च किया जाना जांच में शासकीय धन का दुरुपयोग बताया गया। सूर्यधार झील परियोजना की घोषणा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 29 जून, 2017 में की थी। 22 दिसंबर 2017 को परियोजना के लिए 50 करोड़ 24 लाख रुपये की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गई। सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज के मुताबिक, उन्होंने 27 अगस्त, 2020 को सूर्यधार बैराज निर्माण का स्थलीय निरीक्षण किया। इस दौरान परियोजनाको लेकर मिली शिकायतों व अनियमितताओं को देखते हुए उन्होंने मौके पर ही जांच के आदेश उच्च अधिकारियों को दिए। 16 फरवरी, 2021 को तीन सदस्यीय विभागीय जांच समिति का गठन किया। 31 दिसंबर 2021 को जांच समिति ने शासन को अपनी रिपोर्ट सौंप दी।

जांच •रिपोर्ट में कंसल्टेंट की ओर से तैयार की गई डीपीआर को त्रुटिपूर्ण बताया गया। इसके अलावा तकनीकी परीक्षण में भी ठीक प्रकार से नहीं होने की बात कही गई। रिपोर्ट में यह भी कहा गयाहै कि डीपीआर कंसल्टेंट को कंसल्टेंसी के संबंध में जो 27 लाख रुपये का अनुचित भुगतान हुआ। इसे देखते हुए जांच समिति ने संबंधित कंसल्टेंट के विरुद्ध भी कार्रवाई किए जाने की संस्तुति की।

इसके अलावा सूर्यधार जलाशय के निर्माण में प्रारंभ में आठ मीटर की ऊंचाई के बैराज के निर्माण की निविदा प्रकाशित कराए जाने व 10 मीटर के आधार पर अनुबंध किए जाने के बावजूद इसकी मंजूरी शासन से नहीं ली गई। बैराज निर्माण के कार्यों में मौके पर उत्पन्न जटिलताओं एवं समाधान को देखते हुए तकनीकी सलाहकार की नियुक्ति बगैर शासन के संज्ञान में लाए की गई। इसके अलावा जांच में परियोजना के कार्यों में भुगतान की गई धनराशि विचलन, अतिरिक्त मदों के कार्यों, शेड्यूल ऑफ रेट्स से अधिक दर (बाजार की दरों) पर कार्य कराए जाने व निविदा से संबंधित युक्त दरों आदि में जांच के दौरान त्रुटि ए भिन्नता का भी पता चला है।