Read in App

DevBhoomi Insider Desk
• Thu, 30 Dec 2021 1:23 pm IST

एक्सक्लूसिव

भ्रष्टाचार के आरोपी मृत्युंजय मिश्रा को कुलसचिव बनाने से धामी सरकार सवालों के घेरे में


देहरादून। भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल की हवा खा चुके और विजिलेंस जांच झेल रहे आयुर्वेदिक विवि के पूर्व कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा की पद पर बहाली ने धामी सरकार पर सवाल खड़े कर दिये हैं। दागदार दामन वाले  मिश्रा की उसी पद पर बहाली कर दी गई, जहां करोड़ों का गबन करने का आरोप उनपर लगा। मूल रूप से उच्च शिक्षा विभाग के मिश्रा के निलंबन को समाप्त करना खुद में बड़ा सवाल है कि सरकार ने सतर्कता जांच की रिपोर्ट तक का इंतजार नहीं  किया। हालांकि विभागीय सचिव चंद्रेश यादव इसे हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला देकर सही बता रहे हैं। मृत्युंजय मिश्रा रसूखदार अफसरों में शुमार रहे हैं, जिनके शासन के उच्च अफसरों से भी मजबूत रिश्ते बताये जाते हैं। उच्च शिक्षा विभाग के इस मास्टर वर्ष 2007 में मृत्युंजय मिश्रा ने उत्तराखंड तकनीकी विवि में कुलसचिव बनाया गया। यहां उन पर 84 लाख रुपये के घोटाले का आरोप लगा।   वहां के कुलपति के साथ विवाद के अलावा भी इनपर कई आरोप लगे। शासन ने कुलसचिव के पद से हटाकर इन्हें दिल्ली में बेहतर पोस्टिंग देकर नवाजा। दिल्ली से लौटे तो दोबारा उत्तराखंड आयुर्वेदिक विवि में रजिस्ट्रार बनाया गया। वहां इनपर एक करोड़ रुपये के गबन का आरोप लगा। विजिलेंस ने इन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। आयु। विभाग ने इनको निलंबित कर इनकी संबद्धता निरस्त कर दी। लंबे समय तक जेल में रहने के बाद बाहर आते ही इन्होंने दोबारा कुर्सी हासिल करने के लिए प्रक्रिया शुरू की। तीन दिन पहले शासन ने इन्हें विवि में कुलपति के पद पर तैनात करने का आदेश दे दिया। इस आदेश के बाद इन्होंने पदभार संभाल लिया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मनोज जोशी ने एतराज जताया,लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई। इसके बाद कुलपति ने शासन को पत्र लिखकर अपनी आपत्ति दर्ज करवाई। मामला सीएम पुष्कर सिंह धामी के संज्ञान में भी आ चुका था, लेकिन शासन ने उनकी बहाली रद्द कर मूल विभाग में नहीं भेजा गया। विभागीय सचिव चंद्रेश कुमार ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए विभाग ने कार्यवाही की है। इसके बाद ही उनका निलंबन खत्म कर बहाल किया गया। उन्होंने बताया कि विभाग अब मंत्रिमंडल के निर्णय का क्रियान्वयन करेगा। मंत्रिमंडल ने मृत्युंजय को उनके मूल विभाग उच्च शिक्षा में भेजने का निर्णय किया है। मूल विभाग में वापस भेजने से पहले उनकी बहाली होना आवश्यक थी। शासन की ओर से उन्हें मूल विभाग में भेजने की कार्यवाही प्रारंभ की जा रही है।