चीन की आक्रामकता हिंद-प्रशांत और दक्षिण-पूर्व सागर में लगातार बढ़ रही है। इसे चुनौती देने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में हुए परमाणु पनडुब्बियों के ऑकस समझौते से चीन बौखला उठा है। चीन द्वारा इसके विरोध में लगातार जारी उग्र प्रतिक्रियाओं की कड़ी में एक पूर्व वरिष्ठ चीनी राजनयिक ने यहां तक कह डाला कि हमें अब एटमी हथियारों पर पहले इस्तेमाल न करने की नीति छोड़ देनी चाहिए।संयुक्त राष्ट्र में पूर्व चीनी राजदूत शा जुकांग ने कहा है कि हालात को देखते हुए चीन को परमाणु हथियारों को लेकर अपने रुख पर पुनर्विचार कर उसमें सुधार करना चाहिए। जुकांग ने कहा,
चीन के ठीक पड़ोस में अमेरिका अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा रहा है और नया सैन्य गठबंधन बना रहा है। ऐसे में चीन को 1968 में बनाई सिर्फ जवाबी कार्रवाई की नीति को बदलना होगा।