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• Fri, 26 Apr 2024 10:44 am IST


जोशीमठ के सलूड-डुंग्रा गांव में रम्माण मेले का आयोजन, शामिल होने दूर-दूर से पहुंचे श्रद्धालु


थराली: जोशीमठ के सलूड-डुंग्रा गांव में विश्व की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर रम्माण मेले का आयोजन किया गया. मेले में भूमि क्षेत्रपाल की पूजा-अर्चना, 18 पत्तर का नृत्य, 18 तालों पर राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान का नृत्य किया गया. सलूड गांव में दूर-दूर के क्षेत्रों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु रम्माण मेला देखने पहुंचे हैं.बता दें कि हर साल जोशीमठ विकासखंड के सलूड़ गांव में आठवीं शताब्दी से चली आ रही रम्माण(रामायण)मेले का आयोजन ग्रामीण बड़ी धूमधाम से करते हैं. इस दौरान कलाकारों द्वारा रामायण का मंचन कर मुखोटा नृत्य मूक रहकर किया जाता है. बताया जाता है कि सबसे पहले आठवीं सदी में आदिगुरु शंकराचार्य ने हिन्दू धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए रम्माण का आयोजन किया था. तब से ग्रामीण आज तक विधि-विधान के साथ रम्माण का आयोजन करते आ रहे हैं. मेले की मान्यता और मुखोटा नृत्य को देखकर वर्ष 2009 में यूनेस्को द्वारा रम्माण को विश्व धरोहर भी घोषित किया गया है. 7 जोड़ों ने पारंपरिक ढोल-दमाऊ की थाप पर मोर-मोरनी नृत्य, बण्या-बाणियांण, ख्यालरी, माल नृत्य ने सबको रोमांचित किया. अंत में भूमि क्षेत्रपाल देवता अवतरित होकर 1 वर्ष तक के लिए अपने मूल स्थान पर विराजित हो गए.