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• Sat, 20 Jan 2024 1:35 pm IST


हम है भरतीय


हम हैं भारतवासी।
भारत हमारा देशोन्नति।
जिन में बल है,
वही देश के आधार।
शारीरिक बल है कुछ में।
बुद्धि बल है कुछ में।
आध्यात्मिक बल है कुछ में।
राजनैतिक बल है कुछ में।
धार्मिक बल है कुछ में।
एकता बनाने के बल कुछ में।
एकता तोड़ने का बल कुछ में।
भाषाएँ अनेक, हर भाषा कौशल में
कुछ लोग सदुपदेश देते हैं कुछ लोग।
स्वार्थवश अश्लील गाना गाते हैं कुछ लोग।
धन के लोभी है कुछ लोग।
दान के प्रिय है कुछ लोग।
कंजूसी है कुछ लोग।
त्यागी है कुछ लोग।
भोगी है कुछ लोग।
समदर्शी है कौन?
सब के समान हितैषी है,
पंचतत्व आग हवा पानी भूमि आकाश।।
जान समझकर पंच तत्वों को
प्रदूषण से बचाना।
इनमें धन के लिए
अश्लील गाना,चित्र,कहानियाँ, चित्रपट
खींचना ही बड़ा पाप।।
ईश्वरीय सूक्ष्म दंड मानव के पाप का दंड।
पुण्यातमा कहाँ?
पापात्मा से भरी दुनिया
यह भी ईश्वर की सूक्ष्म लीला।
भगवान के अवतार लीला में भी
न सौ प्रतिशत धर्म।
अधर्म की प्रासंगिक कहानियाँ।
प्रपंच की बातें जानना समझना
असंभव है मानव को।

एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।
तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक
द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति।

सौजन्य से : नवभारत टाइम्स